मेरे मसरूफियत के हर लमहे में शामिल है उनकी यादें सोचो जरा फुर्सत मे क्या होता होगा
एक बात और है जो बताई नहीं जा सकती
इश्क है उनसे पर जताई नहीं जा सकती
हर ट्रिप पर तेरी याद क्यों आती है
सोते हुए मुसाफिर को क्यों जगाती है
क्या गुनाह है इस मुसाफिर का
आहिस्ता से आते हो यादों का एहसास छोड़कर जाते हो
चांदनी रातों में चांद पर चेहरा दिखा है खामोश बादलों की चादर ने ढक लिया है तेरे चेहरे को क्या करें डर लगता है हटाने में कहीं बरस न जाए मुझ पे
सांसे छोड़ दूं तो जीना सिखाओगे क्या ?
फिर क्यों दूरियां बढ़ा रहे हो, फिर कभी मिलने आओगे क्या ?
तुझसे इश्क तेरी हरकतों से नफरत है हम क्या करें जाना है जख्म भी तो तेरे हैं
चल जा अब तुझसे इश्क़ नहीं है मुझे
क्योंकि जिस्मानी हम करते नहीं और रूहानी तुम समझ नहीं पाओगी
तेरी तस्वीर का भी हकदार नहीं
तेरी रूह में इजाजत कैसे होगी चलो छोड़ो उसकी बातें
ये बताओ तुझसे इश्क कैसे होगी
उस शहर के बिछड़े इस शहर में मिल पाएंगे क्या ?
ये टूटे तारे से बिछड़ कर चांद से मिल पाएंगे क्या?
सपनों को ठुकरा कर मुंतशिर हो जाऊंगा
अजी सुन लो फिर कभी मिलने वापस नहीं आऊंगा आज पास है तो इतना इधर आ रही हो कल देखना तुम भी मुंतशिर हो जाओगी याद तो आएंगे हम जैसे सावन में बारिश आते हैं और आसमान में तारे टिमटिमाते हैं
यादों के कनस्तर से यह कैसे भुला दिया आखिर बहन तूने भाई दूज कैसे भुला दिया
तोड़ दूं मैं अगर रिश्तो का डोर तो जोड़ पाओगे क्या ? छोड़ दूं अगर मैं साथ तुम्हारा फिर भी हाथ मेरा थामोगे क्या ?
उतने ही आपके माथे पर ये बिंदिया
इस शहर में अलाव नहीं दिखते
लोगों ने इतने अलगाव है क्या?
मैंने सोचा मोहब्बत से मिल लूं जरा लेकिन दिल ने मुझे मिलने ना दिया
क्योंकि दिल ने जो रोया या तड़पा या भटका ये सारे घड़ी से वो अनजान था
बावफा तूने बेवफाई कर गए लेकिन नादान दिल मेरा रोता रहा
क्योंकि दिल ने जो रोया या तड़पा या भटका ये सारे घड़ी से वो अनजान था
ओ कसमें और वादे तो थोड़े ही थे लेकिन दिल की ये कस्ती ना डूब सकी
जाम भर के गए थे नशे में रहो बस नशा ए मोहब्बत की उतरी नहीं
ये मेरे इसके जुनून का था पागलपना जो हथेली पर मेरी तेरी नाम है
फिर भी सोचा मोहब्बत से मिल लूं जरा लेकिन दिल ने मुझे मिलने ना दिया
फिर मिल गए मुझसे चलते राह में ये नजरें भला कैसे छोड़े उन्हे,
क्योंकि इश्क किया था ये नजरों ने ही देखने की थी इसको जो आदत लगी,
फिर नजरें भी मिलने की कोशिश तो की लेकिन दिल ने ना नजरों को मिलने दिया
क्योंकि दिल में था शोला बेवफाई की वो इसलिए दिल ना नजरों को मिलने दिया
मैंने सोचा मोहब्बत से मिल लूं जरा......
सोचा मोहब्बत से मिल लूं जरा !
Ashwani Bittu
December 25, 2022
मोहब्बत ने मोहब्बत को मोहब्बत से रुलाया है,
तड़प क्या चीज होती है मोहब्बत ने बताया है |
मोहब्बत की यह हरकत ने मुझे जालिम बना दिया,
तेरी नजरों की चाहत ने मुझे कातिल बना दिया | आजकल देख कर मुंह मोड़ लेती है मेरी मोहब्बत,
चलो तसल्ली है हमें हमारी पहचान तो बाकी है |
कसम से भूल नहीं पाया तेरे वो इश्क की राते,
मेरी रगों में बहती है तेरी वो इश्क की बातें |
मोहब्बत ने रुलाया है
Ashwani Bittu
December 24, 2022
सुनो
एक बात सुनोगी क्या ?
रोक कर इस हलचल को, कुछ वक्त मुझे दोगी क्या ?
हर किसी को देखती हो, एक तिरछी नजर से मुझे भी देखोगी क्या?
अच्छा आपने देख लिया, दिल जोरो से धड़कने लगा,
जरा सहला दोगी क्या ?
वो सितारे तोड़ने है आपके लिए, मेरे साथ चलोगी क्या ?
बहुत काम है आपको पता है मुझे, पर सुनो कुछ पल मेरे नाम करोगे क्या?
ऐसा करो जिस्म तुम रखलो, मगर वो रूह मेरे नाम करोगी क्या ?
थाम कर हाथ मेरा, इन वीरान से रास्तों पर साथ चलोगी क्या?
अच्छा सुनो, इस बेजान की जान बनोगी क्या?
✍️@ashwinibi2
एक बात सुनोगी क्या ?
Ashwani Bittu
December 22, 2022
वहीं छोटी सी एक गुड़िया
वहीं है एक घरौंदा बना हुआ
वहीं फूलों की पंखुड़ियाँ
वहीं है एक इत्र सना हुआ
वहीं अलाव से अलगाव
वहीं है एक चूल्हा जला हुआ
वहीं तेढ़ी मेढ़ी सी रोटियाँ
वहीं हैं एक आलु भुना हुआ
वहीं सदियों की भूख वहीं हैं एक निवाला रुका हुआ
मेरा नाम है जहाँ माटी पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ
वहीं एक ईश्वर
वहीं है एक सिर झुका हुआ
वहीं एक किताब
वहीं है एक पन्ना मुड़ा हुआ
वहीं बूढ़ा सा एक पेड़
कबसे है खड़ा हुआ
वहीं पुराना सा एक धागा
टूट के है पड़ा हुआ
वहीं रौशनियों की है कमी वहीं है एक दिया जला हुआ
मेरा नाम है जहाँ खुरचन पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ
वहीं कुहारों भरी रात
वहीं है एक धुँध गहरा हुआ
वहीं भागती सी दुनिया
वहीं है एक लम्हा ठहरा हुआ
वहीं सर्दियों की हवा
वहीं है एक पश्मीना छुपा हुआ
वहीं गर्मियों की दुआ
वहीं है एक सीना सुलझा हुआ
वहीं गुमनामियों का इक शोर वहीं है एक आँसु रुका हुआ
मेरा नाम है जहाँ ओस पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ!
वहीं है एक घरौंदा बना हुआ
वहीं फूलों की पंखुड़ियाँ
वहीं है एक इत्र सना हुआ
वहीं अलाव से अलगाव
वहीं है एक चूल्हा जला हुआ
वहीं तेढ़ी मेढ़ी सी रोटियाँ
वहीं हैं एक आलु भुना हुआ
वहीं सदियों की भूख वहीं हैं एक निवाला रुका हुआ
मेरा नाम है जहाँ माटी पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ
वहीं एक ईश्वर
वहीं है एक सिर झुका हुआ
वहीं एक किताब
वहीं है एक पन्ना मुड़ा हुआ
वहीं बूढ़ा सा एक पेड़
कबसे है खड़ा हुआ
वहीं पुराना सा एक धागा
टूट के है पड़ा हुआ
वहीं रौशनियों की है कमी वहीं है एक दिया जला हुआ
मेरा नाम है जहाँ खुरचन पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ
वहीं कुहारों भरी रात
वहीं है एक धुँध गहरा हुआ
वहीं भागती सी दुनिया
वहीं है एक लम्हा ठहरा हुआ
वहीं सर्दियों की हवा
वहीं है एक पश्मीना छुपा हुआ
वहीं गर्मियों की दुआ
वहीं है एक सीना सुलझा हुआ
वहीं गुमनामियों का इक शोर वहीं है एक आँसु रुका हुआ
मेरा नाम है जहाँ ओस पर तेरी ऊँगलियों से लिखा हुआ!
वहीं बूढ़ा सा एक पेड़ कब से है खड़ा हुआ
Ashwani Bittu
December 22, 2022
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Ashwani Bittu
August 11, 2018
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Ashwani Bittu
August 11, 2018